WHO defines palliative care as an approach that improves the quality of life of patients – adults and children – and their families who are facing problems associated with life-threatening illness. It prevents and relieves suffering through the early identification, impeccable assessment and treatment of pain and other problems, whether physical, psychosocial, or spiritual.
Palliative care:
Reference: https://www.who.int/europe/news-room/fact-sheets/item/palliative-care, https://www.who.int/health-topics/palliative-care, https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/palliative-care
Benefits of palliative care
Many studies have shown the benefits of palliative care. Patients who have received hospital-based palliative care have a lesser severity of symptoms and spends less time in ICUs. In addition, they have reduced hospital admissions after they went home. They have improved quality of life with lesser pain, shortness of breath, depression, and nausea, etc. Patients and families are more satisfied as they are able to manage the disease better with well-aligned goals, preferences, and priorities.
Who should access palliative care? When should it be done?
When a person is diagnosed with a serious or life-limiting illness with symptoms which disturbs the quality of life, he/she should receive palliative care. e.g. Heart failure, diabetes, cancer,and neurological diseases. It is best made available from the time of diagnosis. It is continued throughout the illness (at any stage, age, and care setting) until it’s no longer needed.
Some "Common understandings" about palliative care -- Understanding it better (Facts)
Common understanding: Referral for palliative care means my doctors have given up and I would no longer receive active treatment for my illness
FACT: You can receive palliative care alongside active treatments for your illness, such as treatment for respiratory diseases, neurological disease, cancer chemotherapy and radiotherapy. The decision regarding the continuation of curative treatment is best discussed with primary treating physician/team. it serves as an extra layer of support and is a much needed one.
Common understanding: Palliative care needs hospital/ institutional admission like a hospital or a hospice.
FACT: Palliative care can be provided in a variety of settings including your home, daycare or outpatient, or in hospital/institution.
Common understanding: Palliative care is only meant for treating pain and other physical symptoms.
FACT: Palliative care can help by reducing physical (including pain, breathlessness, agitation, nausea, and vomiting), mental and emotional symptoms. It focuses on improving quality of life of those affected by the disease. When your symptoms are controlled and you are being listened to, you feel and live better.
Common understanding: Palliative care is for the very sick and terminally ill.
FACT: Palliative care can be instituted at any age and stage of disease. It is not specifically for the very sick and terminally ill. It also helps caregivers who are caring for someone with an advanced illness viz. the family members and friends. Palliative care team works together with you and your family. They do what they can, to help people cope.
Common understanding: Palliative care hastens the process of parting ways .
FACT: Palliative care does not hasten this. It focuses on providing comfort and the improving quality of life from diagnosis and onward till it is not needed.
Read more on: https://getpalliativecare.org/
Understanding Palliative Care
Discussing Myths and Facts
पैलिएटिव केयर या प्रशामक देखभाल, चिकित्सा की एक ऐसी पद्वति है जो दर्द और अन्य लक्षणों में राहत प्रदान करके पीड़ा की रोकथाम और राहत के माध्यम से जीवन-घातक बीमारी का सामना कर रहे रोगियों और उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में; शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तौर पर सुधार करता है। यह बीमारी की शुरुआत में ही अन्य उपचारों के साथ मिलकर, सहायता की एक अतिरिक्त परत प्रदान करने के लिए लागू किया जा सकता है। इसका लक्ष्य रोगी, और उसके रोग से प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति को जीवन की अधिक से अधिक गुणवत्ता प्राप्त करने में मदद करना है।
पैलिएटिव केयर:
पैलिएटिव केयर के लाभ:
कई अध्ययनों (medical research) ने पैलिएटिव केयर के लाभों को दिखाया है। जिन मरीजों को अस्पताल-आधारित पैलिएटिव केयर प्राप्त हुई है उनमें लक्षणों की गंभीरता कम होती है और उन्हें आईसीयू में कम समय बिताना पड़ता है। इसके अलावा, घर जाने के बाद उनका अस्पताल में भर्ती होना भी कम हो गया है। उन्होंने कम दर्द, सांस की तकलीफ, अवसाद और मतली आदि के साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार पाया है। मरीज़ और परिवार अधिक संतुष्ट हैं क्योंकि वे अच्छी तरह से संरेखित लक्ष्यों, और प्राथमिकताओं के साथ बीमारी का बेहतर प्रबंधन करने में सक्षम हैं।
पैलिएटिव केयर का उपयोग किसे करना चाहिए? यह कब किया जाना चाहिए?
जब किसी व्यक्ति में जीवन की गुणवत्ता को बिगाड़ने वाले लक्षणों वाली गंभीर या जीवन-घातक बीमारी का पता चलता है, तो उसे पैलिएटिव केयर मिलनी चाहिए :जैसे हृदय विफलता, मधुमेह, कैंसर और तंत्रिका संबंधी रोग। निदान के समय से ही इसे उपलब्ध कराना सर्वोत्तम है, परन्तु इसे बीमारी के दौरान (किसी भी चरण, उम्र और देखभाल की जगह में)कभी कभी शुरू किया जा सकता है, और तब तक जारी रखा जाता है जब तक इसकी आवश्यकता महसूस हो।
पैलिएटिव केयर के बारे में कुछ "मिथक" - इसे बेहतर ढंग से समझना (तथ्य)
मिथक: पैलिएटिव केयर के लिए चिकित्सा मिलने का मतलब है कि मेरे डॉक्टरों ने हार मान ली है और मुझे अब अपनी बीमारी का सक्रिय इलाज नहीं मिलेगा
तथ्य: आप अपनी बीमारी के लिए सक्रिय उपचारों के साथ-साथ पैलिएटिव केयर भी प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कि श्वसन संबंधी बीमारियों, तंत्रिका संबंधी रोग, कैंसर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे उपचारों के साथ। रोग सम्भंदित प्राथमिक उपचार जारी रखने के संबंध में निर्णय पर प्राथमिक उपचार करने वाले चिकित्सक या टीम के साथ चर्चा करना सबसे अच्छा है।पैलिएटिव केयर प्राथमिक उपचार के साथ एक अतिरिक्त सहायता परत के रूप में कार्य करता है और इसकी बहुत आवश्यकता है।
मिथक: पैलिएटिव केयर के लिए अस्पताल या अस्पताल जैसी जगह की आवश्यकता होती है।
तथ्य: पैलिएटिव केयर आपके घर, Daycare या OPD, या अस्पताल/संस्थान सहित विभिन्न जगहों में प्रदान की जा सकती है।
मिथक: पैलिएटिव केयर केवल दर्द और अन्य शारीरिक लक्षणों के इलाज के लिए है।
तथ्य: पैलिएटिव केयर शारीरिक (दर्द, सांस फूलना, उत्तेजना, मतली और उल्टी सहित), मानसिक और भावनात्मक लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। यह बीमारी से प्रभावित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केंद्रित है। जब आपके लक्षण नियंत्रित होते हैं और आपकी बात सुनी जाती है, तो आप बेहतर महसूस करते हैं और बेहतर जीवन जीते हैं।
मिथक: पैलिएटिव केयर बहुत बीमार और असाध्य रूप से बीमार लोगों के लिए है।
तथ्य: पैलिएटिव केयर किसी भी उम्र और बीमारी के चरण में शुरू की जा सकती है। ऐसा नहीं है की यह सिर्फ असाध्य रूप से बीमार लोगों के लिए है। यह उन देखभाल करने वालों की भी मदद करता है जो गंभीर बीमारी वाले किसी व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, जैसे की परिवार के सदस्य और दोस्त। पैलिएटिव केयर टीम आपके और आपके परिवार के साथ मिलकर काम करती है।
मिथक: पैलिएटिव केयर मृत्यु की प्रक्रिया को तेज़ कर देती है।
तथ्य: पैलिएटिव केयर मृत्यु की प्रक्रिया को तेज़ नहीं करती है। यह आराम प्रदान करने और डायग्नोसिस से लेकर जब तक इसकी आवश्यकता हो, तब तक जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केंद्रित है।
पैलिएटिव केयर को समझना
मिथकों और तथ्यों पर चर्चा
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